Song - MujheTum Nazar Se Gira To Rahe Ho Mujhe Tum Kabhi Bhi Bhula Singer - Mehdi Hassan Music -Sohail Rana Lyrics - …
साँस लेना भी सज़ा लगता है अब तो मरना भी रवा लगता है कोह-ए-ग़म पर से जो देखूँ तो मुझे दश्त आग़ोश-ए-फ़ना लगता है सर-ए-बाज…
ख़ुद को इस शहर में तन्हा भी नहीं कह सकते और किसी शख़्स को अपना भी नहीं कह सकते अपनी क़ुर्बत में भी तू ने हमें प्यासा रक…
तेरा अंदाज़-ए-सुख़न सब से जुदा लगता है बरबत-ए-दिल पे कोई नग़्मा-सरा लगता है वो दिया जिस से कि रौशन हो चराग़-ए-हस्ती ग़ौ…
अगर ज़ख़्मी न हो तो ये जिगर अच्छा नहीं लगता कि बे-आँसू मोहब्बत का सफ़र अच्छा नहीं लगता तिरे बिन शहर भी जान-ए-जिगर अच्छा…
बस्ती में है वो सन्नाटा जंगल मात लगे शाम ढले भी घर पहुँचूँ तो आधी रात लगे मुट्ठी बंद किए बैठा हूँ कोई देख न ले चाँद पकड…
काग़ज़ काग़ज़ धूल उड़ेगी फ़न बंजर हो जाएगा जिस दिन सूखे दिल के आँसू सब पत्थर हो जाएगा टूटेंगी जब नींद से पलकें सो जाऊँग…
तिरी गली में तमाशा किए ज़माना हुआ फिर इस के बा'द न आना हुआ न जाना हुआ कुछ इतना टूट के चाहा था मेरे दिल ने उसे वो शख…
ये जो हा सिल हमें हर शय की फ़रावानी है ये भी तो अपनी जगह एक परेशानी है ज़िंदगी का ही नहीं ठोर-ठिकाना मालूम मौत तो तय है…
सदियाँ जिन में ज़िंदा हों वो सच भी मरने लगते हैं धूप आँखों तक आ जाए तो ख़्वाब बिखरने लगते हैं इंसानों के रूप में जिस दम…
जैसे मैं देखता हूँ लोग नहीं देखते हैं ज़ुल्म होता है कहीं और कहीं देखते हैं तीर आया था जिधर ये मिरे शहर के लोग कितने सा…
थे ख़्वाब एक हमारे भी और तुम्हारे भी पर अपना खेल दिखाते रहे सितारे भी ये ज़िंदगी है यहाँ इस तरह ही होता है सभी ने बोझ स…
अपने घर की खिड़की से मैं आसमान को देखूँगा जिस पर तेरा नाम लिखा है उस तारे को ढूँडूँगा तुम भी हर शब दिया जला कर पलकों की…
दूरियाँ सिमटने में देर कुछ तो लगती है रंजिशों के मिटने में देर कुछ तो लगती है हिज्र के दोराहे पर एक पल न ठहरा वो रास्ते…
ये और बात है तुझ से गिला नहीं करते जो ज़ख़्म तू ने दिए हैं भरा नहीं करते हज़ार जाल लिए घूमती फिरे दुनिया तिरे असीर किसी…
चेहरे पे मिरे ज़ुल्फ़ को फैलाओ किसी दिन क्या रोज़ गरजते हो बरस जाओ किसी दिन राज़ों की तरह उतरो मिरे दिल में किसी शब दस्…
कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा वो जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा वो तिरे नसीब की बारि…
आँखों में जल रहा है प बुझता नहीं धुआँ उठता तो है घटा सा बरसता नहीं धुआँ पलकों के ढाँपने से भी रुकता नहीं धुआँ कितनी उँड…
कोई अटका हुआ है पल शायद वक़्त में पड़ गया है बल शायद लब पे आई मिरी ग़ज़ल शायद वो अकेले हैं आज-कल शायद दिल अगर है तो द…
गुलों को सुनना ज़रा तुम सदाएँ भेजी हैं गुलों के हाथ बहुत सी दुआएँ भेजी हैं जो आफ़्ताब कभी भी ग़ुरूब होता नहीं हमारा द…
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