काग़ज़ काग़ज़ धूल उड़ेगी फ़न बंजर हो जाएगा by क़ैसर-उल जाफ़री | GSuper Hit Gazals Lyrics by Lyrics World | Sandeep Kr Singh


काग़ज़ काग़ज़ धूल उड़ेगी फ़न बंजर हो जाएगा _ Lyrics World


काग़ज़ काग़ज़ धूल उड़ेगी फ़न बंजर हो जाएगा
जिस दिन सूखे दिल के आँसू सब पत्थर हो जाएगा


टूटेंगी जब नींद से पलकें सो जाऊँगा चुपके से
जिस जंगल में रात पड़ेगी मेरा घर हो जाएगा


ख़्वाबों के ये पंछी कब तक शोर करेंगे पलकों पर
शाम ढलेगी और सन्नाटा शाख़ों पर हो जाएगा


रात क़लम ले कर आएगी इतनी सियाही छिड़केगी
दिन का सारा मंज़र-नामा बे-मंज़र हो जाएगा


नाख़ुन से भी ईंट कुरेदें मिल-जुल कर हम-साए तो
आँगन की दीवार न टूटे लेकिन दर हो जाएगा


'क़ैसर' रो लो ग़ज़लें कह लो बाक़ी है कुछ दर्द अभी
अगली रुतों में यूँ लगता है सब पत्थर हो जाएगा

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