तिरी गली में तमाशा किए ज़माना हुआ by क़ैसर-उल जाफ़री | Super Hit Gazals Lyrics in Hindi by Lyrics Word | Sandeep Kr Singh




तिरी गली में तमाशा किए ज़माना हुआ

फिर इस के बा'द न आना हुआ न जाना हुआ


कुछ इतना टूट के चाहा था मेरे दिल ने उसे
वो शख़्स मेरी मुरव्वत में बेवफ़ा न हुआ


हवा ख़फ़ा थी मगर इतनी संग-दिल भी न थी
हमीं को शम्अ जलाने का हौसला न हुआ


मिरे ख़ुलूस की सैक़ल-गरी भी हार गई
वो जाने कौन सा पत्थर था आईना न हुआ


मैं ज़हर पीता रहा ज़िंदगी के हाथों से
ये और बात है मेरा बदन हरा न हुआ


शुऊ'र चाहिए तरतीब-ए-ख़ार-ओ-ख़स के लिए
क़फ़स को तोड़ के रक्खा तो आशियाना हुआ


हमारे गाँव की मिट्टी ही रेत जैसी थी
ये एक रात का सैलाब तो बहाना हुआ


किसी के साथ गईं दिल की धड़कनें 'क़ैसर'
फिर इस के बा'द मोहब्बत का हादिसा न हुआ

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ