याद भी उस की ख़्वाब की सी है एक लड़की हिजाब की सी है चूमता हूँ सवाब जान के मैं तू मुक़द्दस किताब की सी है जो मिली है सव…
-------- 'उम्र गुज़री है तिरी गलियों के चक्कर काट कर क्यों न लिख्खूँ ख़ुद को मजनूँ मैं सुख़नवर काट कर जाने ये कैस…
--------------------- ख़ुशी का एक लम्हा चाहिए था घड़ी-भर साथ तेरा चाहिए था मिला था मैं महीनों बाद तुम से तुम्हें सीने…
इस तरह तो लग रहा है चाँद भी ख़तरे में है उस से मिल कर मैं ने जाना रौशनी ख़तरे में है उस की सूरत देख कर बोला सितारों स…
Social Plugin