(अंतरा 1) सन्नाटों में खोया है दिल ये मेरा, वो चेहरा कहाँ, वो सपना कहाँ… हवाओं में उसकी ख़ुशबू तो है, पर मिलने की राहें हैं अब तक वहाँ…
------------------------- (मुखड़ा / कोरस) ढूँढ ला उसे, ढूँढ ला… वो जो धड़कनों में बसा, ढूँढ ला उसे, ढूँढ ला… जो अधूरी कहानी का हिस्सा था…
--------------------------- (अंतरा 2) बारिश में वो हँसती थी यूँ, जैसे हर बूंद में जादू हो… चाँदनी में वो झिलमिलाए, जैसे रातों की आरज़ू हो…
--------------------------------- (मुखड़ा / कोरस) ढूँढ ला उसे, ढूँढ ला… वो जो सांसों में घुला, ढूँढ ला उसे, ढूँढ ला… जो खामोश लम्हों में बोला था…
--------------------------------- (ब्रिज) शायद किसी मोड़ पर मिल जाए वो, किसी पुराने गीत की धुन में… शायद कोई मुस्कान कह दे तुझे, “मैं यहीं थी तेरे संग उस जुनून में…”
--------------------------------- (अंतिम मुखड़ा) ढूँढ ला उसे, ढूँढ ला… वो जो वक़्त के पार गया, ढूँढ ला उसे, ढूँढ ला… जो दिल में हमेशा रहा…
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