----------- जीना कब तक मुहाल होगा आख़िर इक दिन विसाल होगा गर न टूटे ये शीशा-ए-दिल तेरा हुस्न कमाल होगा तुम तो तड़पा क…
----------------- इतना एहसान तो हम पर वो ख़ुदारा करते अपने हाथों से जिगर चाक हमारा करते हम को तो दर्द-ए-जुदाई से ही म…
-------------------- गुज़रे जो अपने यारों की सोहबत में चार दिन ऐसा लगा बसर हुए जन्नत में चार दिन उम्र-ए-ख़िज़र की उस …
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