गुलों को सुनना ज़रा तुम सदाएँ भेजी हैं | Lyrics by Gulzar | Gulzar Urdu Shayari | Gulon Ko Sunna Zara Tum Sadaaen Bheji Hain | Gulzar Poetry | Lyrics

 


गुलों को सुनना ज़रा तुम सदाएँ भेजी हैं

गुलों के हाथ बहुत सी दुआएँ भेजी हैं


जो आफ़्ताब कभी भी ग़ुरूब होता नहीं

हमारा दिल है उसी की शुआएँ भेजी हैं


अगर जलाए तुम्हें भी शिफ़ा मिले शायद

इक ऐसे दर्द की तुम को शुआएँ भेजी हैं


तुम्हारी ख़ुश्क सी आँखें भली नहीं लगतीं

वो सारी चीज़ें जो तुम को रुलाएँ, भेजी हैं


सियाह रंग चमकती हुई कनारी है

पहन लो अच्छी लगेंगी घटाएँ भेजी हैं


तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं

सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं


अकेला पत्ता हवा में बहुत बुलंद उड़ा

ज़मीं से पाँव उठाओ हवाएँ भेजी हैं


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