कोई अटका हुआ है पल शायद | Lyrics by Gulzar | Singer : Gulam Ali | free Gazal and Shyari Lyrics by Lyrics World | Sandeep Kr Singh

 




कोई अटका हुआ है पल शायद
वक़्त में पड़ गया है बल शायद


लब पे आई मिरी ग़ज़ल शायद
वो अकेले हैं आज-कल शायद


दिल अगर है तो दर्द भी होगा
इस का कोई नहीं है हल शायद


जानते हैं सवाब-ए-रहम-ओ-करम
उन से होता नहीं अमल शायद


आ रही है जो चाप क़दमों की
खिल रहे हैं कहीं कँवल शायद


राख को भी कुरेद कर देखो
अभी जलता हो कोई पल शायद


चाँद डूबे तो चाँद ही निकले
आप के पास होगा हल शायद
------------
Koi Atka Hua Hai Pal · Ghulam Ali Visaal Coming Together Of Gulzar Ghulam Ali ℗ Saregama India Limited Released on: 1979-12-01

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ