ये है आब-ए-रवाँ न ठहरेगा उम्र का कारवाँ न ठहरेगा छोड़ दी है जगह सुतूनों ने सर पे अब साएबाँ न ठहरेगा रेत पर है असर हवाओं…
गीतों का शहर है कि नगर सोज़-ओ-साज़ का क़ल्ब-ए-शिकस्ता और ये आलम गुदाज़ का चारों तरफ़ सजी हैं दुकानें ख़ुलूस की चमका है …
------------------ सफ़र में ऐसे कई मरहले भी आते हैं हर एक मोड़ पे कुछ लोग छूट जाते हैं ये जान कर भी कि पत्थर हर एक हा…
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