हम तो यूँ ख़ुश थे कि इक तार गरेबान में है क्या ख़बर थी कि बहार इस के भी अरमान में है एक ज़र्ब और भी ऐ ज़िंदगी-ए-तेशा-…
रात के पिछले पहर रोने के आदी रोए आप आए भी मगर रोने के आदी रोए उन के आ जाने से कुछ थम से गए थे आँसू उन के जाते ही मगर रो…
मंज़िलें एक सी आवारगियाँ एक सी हैं मुख़्तलिफ़ हो के भी सब ज़िंदगियाँ एक सी हैं कोई क़ासिद हो कि नासेह कोई आशिक़ कि अदू …
बैठे थे लोग पहलू-ब-पहलू पिए हुए इक हम थे तेरी बज़्म में आँसू पिए हुए देखा जिसे भी उस की मोहब्बत में मस्त था जैसे तमाम श…
पेच रखते हो बहुत साहिबो दस्तार के बीच हम ने सर गिरते हुए देखे हैं बाज़ार के बीच बाग़बानों को अजब रंज से तकते हैं गुलाब …
ये बे-दिली है तो कश्ती से यार क्या उतरें उधर भी कौन है दरिया के पार क्या उतरें तमाम दौलत-ए-जाँ हार दी मोहब्बत में जो ज़…
चाक-पैराहनी-ए-गुल को सबा जानती है मस्ती-ए-शौक़ कहाँ बंद-ए-क़बा जानती है हम तो बदनाम-ए-मोहब्बत थे सो रुस्वा ठहरे नासेहो…
क़ुर्ब-ए-जानाँ का न मय-ख़ाने का मौसम आया फिर से बे-सर्फ़ा उजड़ जाने का मौसम आया कुंज-ए-ग़ुर्बत मैं कभी गोशा-ए-ज़िंदाँ म…
चल निकलती हैं ग़म-ए-यार से बातें क्या क्या हम ने भी कीं दर-ओ-दीवार से बातें क्या क्या बात बन आई है फिर से कि मिरे बारे …
हम तो यूँ ख़ुश थे कि इक तार गरेबान में है क्या ख़बर थी कि बहार इस के भी अरमान में है एक ज़र्ब और भी ऐ ज़िंदगी-ए-तेशा-…
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