रात के पिछले पहर रोने के आदी रोए by Ahemad Faraz | Gazal Hindi Lyrics by Lyrics World | Sandeep Kr Singh

Sandeep Kr Singh Lyrics Blog



रात के पिछले पहर रोने के आदी रोए

आप आए भी मगर रोने के आदी रोए



उन के आ जाने से कुछ थम से गए थे आँसू
उन के जाते ही मगर रोने के आदी रोए



हाए पाबंदी-ए-आदाब तिरी महफ़िल की
कि सर-ए-राहगुज़र रोने के आदी रोए



एक तक़रीब-ए-तबस्सुम थी बहाराँ लेकिन
फिर भी आँखें हुईं तर रोने के आदी रोए



दर्द-मंदों को कहीं भी तो क़रार आ न सका
कोई सहरा हो कि घर रोने के आदी रोए



ऐ 'फ़राज़' ऐसे में बरसात कटेगी क्यूँकर
गर यूँही शाम-ओ-सहर रोने के आदी रोए

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ