मंज़िलें एक सी आवारगियाँ एक सी हैं by अहमद फ़राज़ | Lyrics World by Sandeep Kr Singh | Hindi Lyrics



मंज़िलें एक सी आवारगियाँ एक सी हैं

मुख़्तलिफ़ हो के भी सब ज़िंदगियाँ एक सी हैं


कोई क़ासिद हो कि नासेह कोई आशिक़ कि अदू
सब की उस शोख़ से वाबस्तगियाँ एक सी हैं


दश्त-ए-मजनूँ न सही तेशा-ए-फ़रहाद सही
सफ़र-ए-इश्क़ में वामांदगियाँ एक सी हैं


ये अलग बात कि एहसास जुदा हों वर्ना
राहतें एक सी अफ़सुर्दगियाँ एक सी हैं


सूफ़ी-ओ-रिंद के मस्लक में सही लाख तज़ाद
मस्तियाँ एक सी वारफ़्तगियाँ एक सी हैं


वस्ल हो हिज्र हो क़ुर्बत हो कि दूरी हो 'फ़राज़'
सारी कैफ़िय्यतें सब तिश्नगियाँ एक सी हैं

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ