ये बे-दिली है तो कश्ती से यार क्या उतरें by अहमद फ़राज़ | Gazal Hindi Lyrics by Lyrics Word | Lyrics World by Sandeep Kr. Singh



ये बे-दिली है तो कश्ती से यार क्या उतरें

उधर भी कौन है दरिया के पार क्या उतरें

तमाम दौलत-ए-जाँ हार दी मोहब्बत में
जो ज़िंदगी से लिए थे उधार क्या उतरें

हज़ार जाम से टकरा के जाम ख़ाली हों
जो आ गए हैं दिलों में ग़ुबार क्या उतरें

बसान-ए-ख़ाक सर-ए-कू-ए-यार बैठे हैं
अब इस मक़ाम से हम ख़ाकसार क्या उतरें

न इत्र ओ ऊद न जाम ओ सुबू न साज़ ओ सुरूर
फ़क़ीर-ए-शहर के घर शहरयार क्या उतरें


हमें मजाल नहीं है कि बाम तक पहुँचें
उन्हें ये आर सर-ए-रहगुज़ार क्या उतरें


जो ज़ख़्म दाग़ बने हैं वो भर गए थे 'फ़राज़'
जो दाग़ ज़ख़्म बने हैं वो यार क्या उतरें

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ