हम तो यूँ ख़ुश थे कि इक तार गरेबान में है by Ahemad Faraj Gazl Lyrics in hindi | Hindi Shayri and Gazal Lyrics by Lyrics Word | Sandeep Kr Singh

 



हम तो यूँ ख़ुश थे कि इक तार गरेबान में है
क्या ख़बर थी कि बहार इस के भी अरमान में है

एक ज़र्ब और भी ऐ ज़िंदगी-ए-तेशा-ब-दस्त
साँस लेने की सकत अब भी मिरी जान में है

मैं तुझे खो के भी ज़िंदा हूँ ये देखा तू ने
किस क़दर हौसला हारे हुए इंसान में है

फ़ासले क़ुर्ब के शो'लों को हवा देते हैं
में तिरे शहर से दूर और तू मिरे ध्यान में है

सर-ए-दीवार फ़रोज़ाँ है अभी एक चराग़
ऐ नसीम-ए-सहरी कुछ तिरे इम्कान में है

दिल धड़कने की सदा आती है गाहे-गाहे
जैसे अब भी तिरी आवाज़ मिरे कान में है

ख़िल्क़त-ए-शहर के हर ज़ुल्म के बा-वस्फ़ 'फ़राज़'
हाए वो हाथ कि अपने ही गरेबान में है


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