मुझे अँधेरे में बे-शक बिठा दिया होता | Lyrics By Gulzar | Free Hindi Gazal Lyrics by Lyrics World | Sandeep Kr Singh

 






मुझे अँधेरे में बे-शक बिठा दिया होता
मगर चराग़ की सूरत जला दिया होता


न रौशनी कोई आती मिरे तआ'क़ुब में
जो अपने-आप को मैं ने बुझा दिया होता


ये दर्द जिस्म के या-रब बहुत शदीद लगे
मुझे सलीब पे दो पल सुला दिया होता


ये शुक्र है कि मिरे पास तेरा ग़म तो रहा
वगर्ना ज़िंदगी ने तो रुला दिया होता


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