फिर उसी रहगुज़ार पर शायद - अहमद फ़राज़ | Super Hit Gazal Lyrics by अहमद फ़राज़ | Lyrics World

 


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फिर उसी रहगुज़ार पर शायद

हम कभी मिल सकें मगर शायद

जिन के हम मुंतज़िर रहे उन को

मिल गए और हम-सफ़र शायद

जान-पहचान से भी क्या होगा

फिर भी दोस्त ग़ौर कर शायद

अज्नबिय्यत की धुँद छट जाए

चमक उठ्ठे तिरी नज़र शायद

ज़िंदगी भर लहू रुलाएगी

याद-ए-यारान-ए-बे-ख़बर शायद

जो भी बिछड़े वो कब मिले हैं 'फ़राज़'

फिर भी तू इंतिज़ार कर शायद

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