कुछ को ये ज़िद है कि हम उस को यहीं देखेंगे by सफ़र नक़वी | Free Gazal Lyrics in Hindi | Amazing Shyari | Lyrics By Lyrics World | Sandeep Kr. Singh

Gazal Free Lyrics by Lyrics World Sandeep Kr. Singh



कुछ को ये ज़िद है कि हम उस को यहीं देखेंगे

कुछ ये कहते हैं चलो छोड़ो वहीं देखेंगे


क़िस्तों क़िस्तों में निहारेंगे सरापा तेरा
एक ही बार में हम पूरा नहीं देखेंगे


अब के पाया है तुम्हें पिछले बरस से भी हसीं
यानी हम अगले बरस और हसीं देखेंगे


कभी बरछी की अनी लाश-ए-जवाँ गिरता अलम
हम जरी हैं तो ये मंज़र भी हमीं देखेंगे


हम से तय होगा ज़माने में बुलंदी का वक़ार
नोक-ए-नेज़ा से भी हम नीचे नहीं देखेंगे


कब तलक तू भी हमें गिर्या-कुनाँ देखेगा
कब तलक हम भी तुझे तख़्त-नशीं देखेंगे


भेज दे अब तो उसे जिस का किया है वा'दा
या अभी और सितम अहल-ए-ज़मीं देखेंगे

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