सोचा नहीं अच्छा बुरा, देखा सुना कुछ भी नहीं , मांगा ख़ुदा से रात दिन तेरे सिवा कुछ भी नहीं

 



Dr. Bashir Badra - डॉ. बशीर बद्र

Jagjit Singh and Chitra Singh


सोचा नहीं अच्छा बुरा, देखा सुना कुछ भी नहीं
मांगा ख़ुदा से रात दिन तेरे सिवा कुछ भी नहीं 


सोचा तुझे, देखा तुझे, चाहा तुझे पूजा तुझे
मेरी वफ़ा मेरी ख़ता, तेरी ख़ता कुछ भी नहीं


जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाये रात भर
भेजा वही काग़ज़उसे, हमने लिखा कुछ भी नहीं 


इक शाम की दहलीज़ पर बैठे रहे वो देर तक
आँखों से की बातें बहुत, मुँह से कहा कुछ भी नहीं


दो चार दिन की बात है दिल ख़ाक में सो जायेगा
जब आग पर काग़ज़ रखा, बाकी बचा कुछ भी नहीं


अहसास की ख़ुशबू कहाँ, आवाज़ के जुगनू कहाँ
ख़ामोश यादों के सिवा घर में रहा कुछ भी नहीं

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ