तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो, क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो - Album/Movie: अर्थ (1983) Music By: जगजीत सिंह, चित्रा सिंह Lyrics By: कैफ़ी आज़मी Performed By: जगजीत सिंह

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Album/Movie: अर्थ (1983)
Music By: जगजीत सिंह, चित्रा सिंह
Lyrics By: कैफ़ी आज़मी
Performed By: जगजीत सिंह

                  

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तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो,

क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो?

आँखों में नमी, हँसी लबों पर,

क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो?

बन जाएंगे ज़हर पीते पीते,

ये आश्क़ जो पीते जा रहे हो।

जिन ज़ख्मों को वक़्त भर चला है,

तुम क्यूँ उन्हें छेड़े जा रहे हो?

रेखाओं का खेल है मुक़द्दर,

रेखाओं से मात खा रहे हो।



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tum itnā jo muskurā rahe ho
kyā ġham hai jis ko chhupā rahe ho

āñkhoñ meñ namī hañsī laboñ par
kyā haal hai kyā dikhā rahe ho

ban jā.eñge zahr piite piite
ye ashk jo piite jā rahe ho

jin zaḳhmoñ ko vaqt bhar chalā hai
tum kyuuñ unheñ chheḌe jā rahe ho

rekhāoñ kā khel hai muqaddar
rekhāoñ se maat khā rahe ho

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