मिलते जुलते हैं यहाँ लोग ज़रूरत के लिए - अज़हर नवाज़ | Gazal and Shyari Lyrics in hindi | By Lyrics World



मिलते जुलते हैं यहाँ लोग ज़रूरत के लिए

हम तिरे शहर में आए हैं मोहब्बत के लिए


वो भी आख़िर तिरी तारीफ़ में ही ख़र्च हुआ
मैं ने जो वक़्त निकाला था शिकायत के लिए


मैं सितारा हूँ मगर तेज़ नहीं चमकूँगा
देखने वाले की आँखों की सुहूलत के लिए


तुम को बतलाऊँ कि दिन भर वो मिरे साथ रहा
हाँ वही शख़्स जो मशहूर है उजलत के लिए


सर झुकाए हुए ख़ामोश जो तुम बैठे हो
इतना काफ़ी है मिरे दोस्त नदामत के लिए


वो भी दिन आए कि दहलीज़ पे आ कर 'अज़हर'
पाँव रुकते हैं मिरे तेरी इजाज़त के लिए

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