ले उड़ा फिर कोई ख़याल हमें by अहमद फ़राज़ | Singer - Jagjit Singh | Top Gazal Lyrics by Lyrics World

 


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ले उड़ा फिर कोई ख़याल हमें

साक़िया साक़िया सँभाल हमें

रो रहे हैं कि एक आदत है

वर्ना इतना नहीं मलाल हमें

ख़ल्वती हैं तिरे जमाल के हम

आइने की तरह सँभाल हमें

मर्ग-ए-अम्बोह जश्न-ए-शादी है

मिल गए दोस्त हस्ब-ए-हाल हमें

इख़्तिलाफ़-ए-जहाँ का रंज था

दे गए मात हम-ख़याल हमें

क्या तवक़्क़ो करें ज़माने से

हो भी गर जुरअत-ए-सवाल हमें

हम यहाँ भी नहीं हैं ख़ुश लेकिन

अपनी महफ़िल से मत निकाल हमें

हम तिरे दोस्त हैं 'फ़राज़' मगर

अब और उलझनों में डाल हमें

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